क्या मंगल ग्रह पर जीवन संभव है?

मंगल ग्रह हमारे धरती का सबसे पड़ोसी ग्रह है। क्या मंगल ग्रह पर जीवन संभव है या नहीं? तो चलिए आज की ब्लॉग में हम बात करेंगे कि क्यों हमारे देश के वैज्ञानिक मंगल ग्रह पर इतनी खोज कर रहे हैं।

तमाम देशों की अंतरिक्ष एजेंसियां लाल ग्रह पर जिंदगी की तलाश कर रही हैं। मगर दिक्कत है वहां के हालात, जो जिंदगी के पनपने के लिहाज से काफी सख्त हैं।

यह बंजर है, बेहद ठंडा है। वहां नॉर्मल टेम्परेचर माइनस सिक्सटी डिग्री सेल्सियस रहता है और ठंडी में मंगल का तापमान माइनस वन हंड्रेड सिक्स डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। 

मंगल ग्रह का एटमॉस्फेयर भी बेहद कमजोर है। इतना कमजोर कि अंतरिक्ष से रेडियोएक्टिव किरणों की मंगल पर जैसे बमबारी सी होती रहती है।

क्या मंगल ग्रह पर ऑक्सीजन है

मंगल पर ऑक्सिजन है लेकिन बेहद कम है। इतना कम कि मंगल के वातावरण में केवल पांच फीसदी ऑक्सीजन है।

बाकी सिर्फ कार्बन डाई ऑक्साइड है। ऐसे में जिंदगी की पॉसिबिलिटी वहां बहुत कम है। फिर भी मंगल पर भेजे गए हाल ही में मिशन से वहां जिंदगी की एक उम्मीद जगी है। 

वैज्ञानिकों को लगता है कि धरती के कुछ बैक्टीरिया मंगल ग्रह पर जीवन जी सकते हैं। ऐसे कुछ बैक्टीरिया की लिस्ट बनाने की कोशिश हो रही है, जो मंगल के बेहद ठंडे माहौल और जानलेवा वातावरण में भी बच जाएं। 

इसके लिए कुछ प्रयोगशालाओं में मंगल ग्रह जैसा माहौल तैयार किया गया है, जहां ऐसे बैक्टीरिया रखे जा रहे हैं, जो बेहद बुरे वातावरण में भी जिंदा रहते हैं।

इन बैक्टीरिया को बेहद सर्द तापमान में रखा जाता है। इन पर रेडिएशन यानी कि रेडियोएक्टिव किरणों की बौछार की जाती है

ताकि यह परखा जा सके कि यह मंगल ग्रह के वातावरण में बच पाएंगे या नहीं। ऐसा एक एक्सपेरिमेंट इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर भी चल रहा है।

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क्या मंगल ग्रह पर पानी है?

हाँ, मंगल ग्रह पर वैज्ञानिकों को पानी के कई सबूत मिले हैं मंगल ग्रह पर बर्फ की बड़ी बड़ी चादर मौजूद हैं। 

मंगल ग्रह की जमींन के नीचे बर्फ के रूप में पानी होने के भी सबूत हैं। वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि यह पानी मिट्टी में जमा हो सकता है या झीलों में मौजूद हो सकता है। 

हाल ही के वर्षों में, वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह पर पानी के सबूत भी पाए हैं। यह पानी ढलानों पर बहने वाली धाराओं और नालियों के रूप में देखा गया है। मंगल ग्रह के वायुमंडल में पानी की वाष्प मौजूद है।

हालांकि, मंगल ग्रह पर पानी पृथ्वी की तुलना में बहुत कम मात्रा में पाया गया है। मंगल ग्रह का वायुमंडल बोहोत पतला है, जिसके कारण पानी का जल्दी से वाष्पिभवन हो जाता है।

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मंगल ग्रह पर तापमान कितना है?

मंगल ग्रह का तापमान पृथ्वी के तापमान से बोहोत कम है। इसका प्रमुख कारण है कि मंगल ग्रह सूर्य से पृथ्वी की तुलना में ज्यादा दूरी पर स्थित है।

मंगल ग्रह का औसत तापमान लगभग -63°C (-82°F) है।

वैसे तो, मंगल ग्रह का तापमान जगह और मौसम के आधार पर अलग अलग होता है।

  • मंगल ग्रह का ध्रुवों पर तापमान -140°C (-220°F) तक गिर सकता है।
  • गर्मियों में, भूमध्य रेखा के पास मंगल ग्रह का तापमान 20°C (68°F) तक पहुंच सकता है।
  • रात में मंगल ग्रह का तापमान दिन की तुलना में बोहोत ही कम होता है।

मंगल ग्रह पर जीवन जीने की क्षमता रखने वाला धरती का पहला जीव

एक्सपेरिमेंट्स की बदौलत वैज्ञानिकों ने ऐसे जीवों की एक लिस्ट तैयार की है, जो मंगल ग्रह पर जीवन जी सकते हैं। इस लिस्ट में पहला नाम है Deinococcus Radiodurans नाम के बैक्टीरिया का। 

इसे धरती पर पाया जाने वाला सबसे हार्डलाइन बैक्टीरिया कहा जाता है। जितने रेडिएशन में एक इंसान की मौत हो जाए उससे हजार गुना रेडिएशन यह बैक्टीरिया झेल सकता है और यह भयानक ठंड भी झेल सकता है। 

वैज्ञानिकों ने लैब में इस बैक्टीरिया को -तीन डिग्री सेल्सियस टेम्परेचर पर रखा और यह बैक्टीरिया उससे भी बच निकला। मंगल ग्रह पर एवरेज टेम्परेचर इतना ही रहता है।

फिर वैज्ञानिकों ने इस पर भयानक रेडियोएक्टिव गामा रेडिएशन की बौछार की ताकि यह देखा जा सके कि मंगल ग्रह की जमीन के अंदर छुपने के बाद भी होने वाले रेडिएशन के हमलों से यह बच सकता है या नहीं। 

और यह बैक्टीरिया इतना मजबूत निकला कि हर मुश्किल से इसने डटकर सामना किया। वैज्ञानिक मानते हैं कि मंगल ग्रह के बेहद सख्त एटमॉस्फियर में भी इसके जिंदा रहने की उम्मीद काफी है।

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मंगल ग्रह पर जीवन जीने की क्षमता रखने वाला धरती का दूसरा जीव

मंगल ग्रह के माहौल में जीने की क्षमता रखने वाला धरती का दूसरा जीव भी एक बैक्टीरिया ही है और यह बैक्टीरिया हैलो बैक्टीरिया कैसी फैमिली से ताल्लुक रखते हैं।

यह बैक्टीरिया धरती पर लाखों करोड़ों साल पहले से रह रहे हैं, जब धरती पर इंसान का वजूद भी नहीं था। यह बैक्टीरिया तब से हमारी धरती पर रह रहे हैं।

एक कैलकुलेशन के मुताबिक, यह बैक्टीरिया धरती पर लगभग 3 से 400 करोड़ साल पहले पैदा हुए होंगे, जब धरती का एटमॉस्फेयर भी आज के मंगल ग्रह जैसा ही था।

हैलो बैक्टीरिया कैसी धरती के बेहद खारे पानी के इलाकों में पाया जाता है जैसे डेड सी। अब जैसा माहौल डेड सी में है, उसके हिसाब से वैज्ञानिकों को लगता है कि यह मंगल ग्रह पर भी जी ही लेंगे।

क्योंकि मंगल पर भी हाल में खारे पानी की इलाकों का पता चला है। हैलो बैक्टीरिया, कैसी फैमिली के दो मेंबर मंगल ग्रह पर जीने के काबिल हैं। 

इनमें से पहला है halococcus Dombrowskii के नाम के बैक्टीरिया का, जबकि दूसरा है Halobacteria sp NRC-1। एक प्रयोग से पता चला है कि ये दोनों बैक्टीरिया धरती के हवा के दबाव से छह गुना ज्यादा दबाव झेल सकते हैं। 

यह कार्बन डाई ऑक्साइड की भारी मात्रा को भी झेल सकते हैं और -60 डिग्री टेम्परेचर पर भी करीब छह घंटे तक बर्दाश्त कर सकते हैं।

धरती के खारे इलाकों में रहने वाले ये बैक्टीरिया मंगल पर जिंदा रह सकेंगे, यह भरोसा करने की एक और वजह भी है। 

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क्या मंगल ग्रह पर जीवन संभव है?

कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि आज के मंगल ग्रह की तरह कभी धरती पर भी नमक के विशाल टुकड़े समंदर में तैरते थे और ये बैक्टीरिया उन्हीं विशाल टुकड़ों के अंदर थे।

हालांकि धरती पर कभी आज के मंगल जैसा माहौल था, यह बात पक्के तौर पर नहीं कही जा सकती। 

जर्मनी एयरोस्पेस सेंटर के साइंटिस्ट ल्यूक कहते हैं कि धरती पर ऐसे कई जीव हैं जो सेंधा नमक के विशाल टुकड़ों के अंदर लाखों साल तक जिंदा रह सकते हैं।

अब जबकि मंगल पर भी ऐसे ही नमक के विशाल टुकड़े झीलों में तैरते पाए गए हैं तो ऐसे में लगता है कि यह नमक वाले बैक्टीरिया मंगल पर भी जिंदा रह लेंगे। 

कहा जाता है कि अगर हम मंगल और धरती के शुरुआती दिनों की बात करें तो बहुत सी कॉमन चीजें पाएंगे। दोनों का टेम्परेचर कम था, हवा का दबाव कम था।

दोनों ही जगह ऑक्सिजन नहीं थी। उस वक्त अगर धरती पर सिर्फ समंदर थे तो मंगल पर भी पानी रहने के साफ संकेत मिलते हैं। 

जब ऐसे माहौल में धरती पर जिंदगी की शुरुआत हुई तो मंगल ग्रह पर भी जीवन की शुरुवात हुइ होगी। बाद में जब मंगल का माहौल बदला, तो क्या हुआ, इस बारे में किसी को पता नहीं।

हो सकता है कि वहां पर रहने वाले सारे जीव विलुप्त हो गए हों या फिर यह भी हो सकता है कि वे सभी मंगल ग्रह में नीचे कहीं दबे हों। 

मंगल और धरती के बहुत सी कॉमन चीजें मिलती जुलती होने के वजेसे वैज्ञानिक मंगल ग्रह पर जीवन संभव होने की आशंका जाता रहे है|

तो दोस्तों, इतना ही कहना चाहूंगा कि यह रहस्य अभी तक बना हुआ है। यह जानकारी आपको कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएं और यह जानकारी अपने दोस्तों से जरुर शेयर करे। 

दोस्तों मेरा नाम Shubham Ghulaxe है में एक Geologist हु। और पृथ्वी से जुड़े ऐसे ही जानकारी में आपके लिए Gyan Ki Baatein में लाता रहता हु आप और भी ऐसेही इंट्रेस्टिंग टॉपिक्स के बारे में पढ़ सकते है| अपना कीमती वक्त इस जानकारी को पढने के लिए आपका धन्यवाद्।

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