आचार्य चाणक्य नीति की 5 बातें जो आपको सफल बना सकती हैं!

आचार्य चाणक्य की पांच नीति आपको सफल बना सकती । हर मनुष्य चाहता है कि उसका जीवन एक राजा की भांति हो।

उसे न धन की कमी हो और न ऐश्वर्य की। उसे हर तरह की सफलता प्राप्त हो। धन, वैभव और ऐश्वर्य में उसका कोई सानी न हो। लेकिन मित्रों, हम जाने अनजाने में ही सही, कई भूल कर बैठते हैं, जिनसे हमारी किस्मत भी हमसे रूठ जाती है।

आज की ब्लॉग में हम आपको महान आचार्य चाणक्य  नीति की बातें  बताएँगे जिसका पालन करने से आपका जीवन पूरी तरह से बदल सकता है।

आचार्य चाणक्य के अनुसार

महान आचार्य चाणक्य को भला कौन नहीं जानता जिनकी बातें चन्द्रगुप्त मौर्य के समय भी जितनी प्रासंगिक थी उतनी आज भी हैं। अर्थशास्त्र पर लिखी उनकी किताब हो या फिर कूटनीति पर उनका ज्ञान, एक एक बात मनुष्य को जीवन जीने का मूल मंत्र सिखाती है।

⇒ आचार्य चाणक्य की सबसे पहली बात

सबसे पहले बात आचार्य चाणक्य ने जो बातें बताई है वह यह है कि मूर्ख लोगों से विवाद में न पड़ें।

जहां तक संभव हो उनसे बात करने से बचें। अब इसका मतलब यह नहीं कि अगर कोई वाद विवाद कर रहा है तो वह मूर्ख ही होगा, बल्कि ज्ञानी पुरुष भी हो सकता है।

वैसे भी यह कहावत तो आपने सुनी ही होगी कि मूर्खों से बात करने का मतलब दीवार पर सिर मारने जैसा है, जिससे दर्द आपके ही सिर में होगा।

तो अगर जिंदगी में आपको आगे बढ़ना है तो पूरी तरह से यह मानकर चलें कि अपने जीवन में जो भी दोस्त बनायें या घर परिवार से लेकर आस पड़ोस में कोई मूर्ख व्यक्ति हो तो उससे दूरी ही बनाकर रखें।

⇒ आचार्य चाणक्य की दूसरी बात

दूसरी बात जो आचार्य चाणक्य ने बताई वह यह है कि अपनी कमजोरी किसी को न बताएं। 

वह कमजोरी किसी भी तरह की हो सकती है। कमजोरी का अर्थ यह भी है कि आप आर्थिक तौर पर कितने संपन्न हैं, सामाजिक तौर पर आपकी क्या हैसियत है या फिर भावनात्मक तौर पर आप अंदर से कितने मजबूत हैं।

तो कुल मिलाकर आर्थिक, सामाजिक और भावनात्मक किसी भी स्तर की कमजोरी आप किसी को न बताएं। यहां तक कि अपनी पत्नी को भी नहीं। 

आचार्य चाणक्य ने इसके पीछे की जो वजह बताई है मित्रो वह काफी रोचक है। दरअसल दुनिया में इंसान अकेला आया है और अकेला ही उसे वापस जाना है।

ऐसे में मुसीबत के समय अगर आज आपका मित्र शत्रु बन जाता है तो आपकी कमजोरी का फायदा उठा सकता है। इस बात को आप रावण और विभीषण के उदाहरण से भी समझ सकते हैं। 

जैसे विभीषण ने बाद में भगवान राम को यह बता दिया था कि रावण की नाभि में अमृत का घड़ा है। जिसके बाद श्रीराम ने रावण की नाभि में तीर मारकर उसका वध कर दिया।

ऐसे में अपनी कमजोरी कभी भी किसी को बताने की भूल न करें। इससे आपको जीवन में कभी आगे बढ़ने पर किसी तरह का भय नहीं रहेगा। 

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⇒ आचार्य चाणक्य की तीसरी बात

तीसरी सबसे महत्वपूर्ण बात जो आचार्य चाणक्य ने बताई वह यह है कि धन सोच समझकर खर्च करें।

हालांकि इसका मतलब यह कतई नहीं है कि आप धन खर्च करने में कंजूसी करें और अपनी जरूरत का सामान भी नहीं खरीदें, बल्कि इसका मतलब धन की फिजूलखर्ची पर लगाम लगाने से है।

अगर आपको यह लगता है कि कोई चीज आप अपने शौक के लिए खरीद रहे हैं, जिससे आपकी भविष्य के लिए की गई बचत पर असर पड़ सकता है तो उसे न खरीदने में ही भलाई है। 

हालांकि उसे खरीदने के लिए आप ज्यादा धन कमाने की दिशा में काम जरूर कर सकते हैं। इससे भविष्य में आने वाले किसी भी तरह के संकट के लिए आर्थिक तौर पर आप संपन्न होंगे और साथ ही आपकी इच्छाएं भी पूरी रहेंगी। 

वरना कुछ लोग ऐसे होते हैं जो एक घर बनाने के लिए एक एक पाई जोड़ते हैं और किसी वजह से उस घर का नुकसान हो जाता है और उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं होता तो फिर से वहीं पहुंच जाते हैं जहां से उन्होंने जिंदगी की शुरुआत की थी। 

इसलिए ऐसी भूल न करें, बल्कि भविष्य के लिए बचत जरूर करें और अर्जित धन तभी खर्च करें जब उसकी जरूरत हो।

हालांकि धन ज्यादा हो तो उसे अच्छे कार्यों में लगाएं, क्योंकि उससे आपको पुण्य मिलेगा। जबकि बुरे कार्यों में खर्च किया गया धन भी एक तरह से नुकसान का ही कारण बनता है। 

⇒ आचार्य चाणक्य की चौथी बात

चौथी बात आचार्य चाणक्य ने जो कही है वह यह है कि सभी लोगों पर विश्वास न करें।

हालांकि विश्वास और अंधविश्वास करने में अंतर होता है। इसलिए आचार्य चाणक्य ने जो विश्वास की बात कही है वह अंधविश्वास से जुड़ी है।

जैसे कोई राजा अगर अपने राजकाज की बजाय ऐशो आराम में ही संलिप्त रहता है और अपने मंत्री पर पूरी तरह से विश्वास करता है तो उसका मंत्री उसे किसी भी परेशानी में डाल सकता है। 

यहां तक कि राजा के हाथ से राज भी निकल सकता है। हालांकि मंत्री पर विश्वास करना उसका इसलिए जरूरी है क्योंकि राजा हर कार्य खुद नहीं देख सकता।

इसलिए आज के जमाने में आपका किसी व्यक्ति पर विश्वास करना भी जरूरी है। लेकिन अंधविश्वास गलत है और यह आपकी जिंदगी बर्बाद कर सकता है। 

हालांकि विश्वास की डोर रिश्तों को भी मजबूती प्रदान करती है, इसलिए इस नीति के मुताबिक रिश्तों में शक की सुई घूमने दें।

हर तरह से संतुलन बनाए रखने का नाम ही जिंदगी है। पांचवीं और आखिरी बात जो आचार्य चाणक्य ने कही है, आज के समय में उसका बेहद महत्व है।

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⇒ आचार्य चाणक्य की पांचवीं बात

पांचवीं और आखिरी बात जो आचार्य चाणक्य ने कही है, आज के समय में उसका बेहद महत्व है।

सफलता पर आचार्य चाणक्य के विचार कहते हैं कि अगर आपको जीवन में सफलता प्राप्त करनी है तो लगाव से दूर रहें। आचार्य चाणक्य स्त्रियों को सफलता में बड़ी बाधा मानते थे।

आज के दौर में जब कम उम्र से ही प्रेम प्रसंग का दौर चल रहा है, मित्रता से शुरू हुई बात प्रेम और लगाव में बदल रही है तो यह बातें इतनी प्रासंगिक लगती हैं कि लगाव आपको सफलता के मार्ग से भटकाने के सिवा और कुछ नहीं है। 

हालांकि इसका एक दूसरा पहलू यह भी है कि अगर आपको कभी अपनों को किसी वजह से छोड़ना पड़े तो आप बेहद लगाव होने की वजह से ऐसा नहीं कर पाएंगे। जबकि ऐसा करना आपके समाज या राज्य के हित में होगा।

इसलिए राष्ट्र हित सर्वोपरि की भावना को ध्यान में रखते हुए मनुष्य को आचार्य चाणक्य की इन पाँच बातों का पालन करना चाहिए, जिससे न सिर्फ आपका जीवन बदल सकता है बल्कि आप नैतिक पर और भी मजबूत होंगे। तो मित्रो आज की इस ब्लॉग में बस इतना ही। 

अगर आपको ये ब्लॉग पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों को शेयर जरुर की जियेगा। कमेंट करके ये भी बताएं कि महान आचार्य चाणक्य की कितनी बातें आप पहले से जानते थे। और हमारे अन्य ब्लॉग भी पढ़िए। हम Gyan Ki Baatein वेबसाइट पर ऐसी ही और भी जानकारी देते रहेंगे। धन्यवाद।

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