क्या 2060 में पृथ्वी का अंत हो जाएगा? जान लीजिए!

2060 में पृथ्वी का अंत: हम आप जो भी चीज देख रहे हैं, उसका अतीत बन जाना तय है। पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व भी इसमें शामिल है।

एक दिन यह भी अतीत बन जाएगा, लेकिन कब? कहते हैं कि मौत प्रलय और समस्या देखकर नहीं आती और न ही इनके आने का कोई समय होता है। 

पृथ्वी का अंत कब होगा?

हमें नहीं पता कि पृथ्वी का अंत कब होगा या फिर होगा भी या नहीं, लेकिन हम इतना जरूर कह सकते हैं कि जिसका जन्म हुआ है, उसका अंत भी एक न एक दिन अवश्य होता है और अगर पृथ्वी का जन्म हुआ है तो पृथ्वी का अंत भी निश्चित है। 

आपको भले ही यकीन न हो, लेकिन जीवाश्मों के अध्ययन के मुताबिक पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व को करीब साढ़े 3 अरब साल हो चुके हैं।

इतने समय में पृथ्वी ने कई तरह की आपदाएं झेली हैं, जैसे पृथ्वी का जम जाना या अंतरिक्ष की चट्टानों का टकराना, प्राणियों में बड़े पैमाने पर जहर का फैलना या जलाकर सबकुछ राख कर देने वाली रेडिएशन। 

जाहिर है, यदि जीवन को ऐसा भीषण खतरा पैदा हो तब भी पृथ्वी से पूरी तरह से जीवन का अस्तित्व खत्म नहीं हो पाएगा। लेकिन पृथ्वी पर इस दुनिया के खत्म होने की आशंका तो है ही। 

हालांकि कई सभ्यताओं और धर्मों में भी पृथ्वी पर प्रलय, कयामत या पृथ्वी का अंत की भविष्यवाणियां की गई हैं, लेकिन कम से कम आज तक तो वह सभी भविष्यवाणियां झूठी ही साबित हुई हैं।

इसलिए आज हम इस ब्लॉग में भविष्यवाणियों की नहीं, बल्कि विज्ञान पृथ्वी के अंत के बारे में क्या कहता है, यह जानेंगे। आइए देखते हैं विज्ञान पृथ्वी के अंत के बारे में क्या तर्क देता है।

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न्यूटन ने क्यों कहा कि 2060 में पृथ्वी का अंत होगा?

2060 में पृथ्वी का अंत होगा फादर ऑफ मॉडर्न साइंस के जनक न्यूटन के अनुसार 2060 में पृथ्वी का अंत हो जायेगा यह दुनिया नहीं रहेगी । खास बात यह है कि न्यूटन ने यह ऐसे ही नहीं कहा था, बल्कि इसके पीछे भी एक फार्मूला था। 

गति के नियम के तमाम फार्मूलों का आविष्कार करने वाले न्यूटन ने 1704 में एक नोट लिखा था। उस नोट में यह कहा गया था कि एक ऐसा समय आएगा कि पृथ्वी की घूमने की गति बदल जाएगी, जिससे दिन और रात आधे हो जाएंगे और वर्ष 2060 में पृथ्वी का अंत होगा पृथ्वी पर समय बिल्कुल ही खत्म हो जाएगा। 

यानी किसी भी सूरत में यह दुनिया दो हज़ार 60 से आगे नहीं बढ़ने वाली। अब न्यूटन की इस बात में कितनी सच्चाई है, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

2060 में पृथ्वी का अंत होने की वैज्ञानिक मान्यता

वैज्ञानिकों को आशंका है कि आने वाले समय में एक्स नाम का एक ग्रह धरती के काफी पास से गुजरेगा और अगर इस दौरान इसकी टक्कर पृथ्वी से हो गई तो पृथ्वी को नष्ट होने से कोई नहीं बचा सकता।

लेकिन कई वैज्ञानिक ऐसे भी हैं जो 2060 में पृथ्वी का अंत होने की बात से साफ इनकार करते हैं। उनका मानना है कि ब्रह्मांड में ऐसे कई ग्रह और उल्कापिंड हैं जो कई बार धरती के नजदीक से गुजर चुके हैं और उन्हें अभी इनसे कोई खतरा नजर नहीं आया। 

हालांकि 1994 में एक ऐसी घटना घटी थी जब पृथ्वी के बराबर के 10 से 12 उल्कापिंड बृहस्पति ग्रह से टकरा गए थे और उस वक्त का नजारा किसी महाप्रलय से कम नहीं था। यही वजह है जिसकी वजह से उस ग्रह की आग और तबाही आज तक शांत नहीं हुई है। 

इसलिए वैज्ञानिक मानते हैं कि जो बृहस्पति ग्रह के साथ हुआ वह यदि भविष्य में कभी पृथ्वी के साथ हुआ तो पृथ्वी को नष्ट होने से कोई नहीं बचा सकता। ज्वालामुखी से तबाही संभव है कि पृथ्वी पर जीवन ज्वालामुखियों के विस्फोट से 25 करोड़ साल में खत्म हो जाएगा। 

ऐसा होने पर पृथ्वी पर मौजूद 85 फीसद जीव नष्ट हो जाएंगे, जबकि 95 फीसदी समुद्री जीवों का अस्तित्व नष्ट हो जाएगा। 1816 में इंडोनेशिया में स्थित माउंट अंगोरा नाम के ज्वालामुखी ने भारी तबाही मचाई थी, जिसकी वजह से डेढ़ लाख लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। 

यह तबाही केवल एक सामान्य ज्वालामुखी यानी कि वॉल केनों की वजह से हुई थी। सोचिए अगर एक सामान्य ज्वालामुखी की जगह एक सूपर वॉल फट जाए तो पृथ्वी पर तबाही का आलम क्या होगा?

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सूपर वॉल फट जाए तो पृथ्वी पर क्या होगा?

सूपर वॉल फट जाए तो पृथ्वी पर ज्वालामुखी से ज्वाला निकलेगा। वह ब्रिटेन के आकार से लगभग आठ गुना बड़ा होगा और इस वॉलकेन के फटने से आसमान में बहुत बड़े काले धुएं के बादल बन जाएंगे, जो सालों तक सूरज की किरणों को धरती पर आने से रोके रखेंगे। 

जिसकी वजह से पृथ्वी से जीवन गायब होने लगेगा और धरती का विनाश होना प्रारंभ हो जाएगा। नष्ट होते सितारे रात में टिमटिमाते हुए तारों को देखना किसे पसंद नहीं।

क्या तारे पृथ्वी के अंत का कारण बन सकते हैं?

लेकिन क्या आपको पता है कि ये टिमटिमाते हुए तारे पृथ्वी के नष्ट होने का कारण भी बन सकते हैं। जी हां, जब दो नष्ट होते हुए सितारे आपस में मिलने लगते हैं तो उनमें से एक गामा किरण निकलती है जो कि इतनी शक्तिशाली और चमकदार होती है कि हमारी धरती को पलक झपकते ही नष्ट कर सकती है। 

वैसे ब्रह्मांड में यह प्रक्रिया हमेशा होती रहती है, लेकिन यह प्रक्रिया हमारे सौरमंडल में इतनी दूर होती है कि हमारी धरती पर इसका कोई असर नहीं पड़ता। 

इन दो नष्ट होते हुए सितारों के मिलने से इतनी गामा किरणें निकलती हैं कि इनकी ऊर्जा हमारे सूर्य से लगभग 1 करोड़ अरब गुना ज्यादा होती है। अगर यह प्रक्रिया हमारी धरती से 1000 प्रकाशवर्ष की दूरी पर हो तो इस शक्तिशाली किरण से हमारी धरती एक पल में जलकर नष्ट हो जाएगी। 

सूर्य का फैलना अगर ऊपर की आशंकाएं निर्मूल साबित हुई तो सूर्य के चलते जीवन समाप्त होगा। सूर्य ही पृथ्वी पर जीवन की ऊर्जा के तौर पर प्रकाश भेजता है, लेकिन हमेशा उसका रिश्ता दोस्ताना नहीं रहने वाला। हमने देखा है कि सूर्य लगातार गर्म हो रहा है।

एक समय ऐसा आएगा कि पृथ्वी के समुद्र सूख जाएंगे। ग्रीनहाउस इफेक्ट के चलते तापमान भी बढ़ेगा। यह सब 1 अरब साल में शुरू हो जाएगा। लेकिन यहीं सब कुछ खत्म नहीं होगा। 

अब से ठीक 5 अरब साल बाद सूर्य फैलना शुरू करेगा। एक सूजे हुए तारे की शक्ल में यह साढ़े 7 अरब साल में पृथ्वी को निगल लेगा। तो दोस्तो, विज्ञान के इन दावों में आपको कौन सा दावा सच के ज्यादा करीब दिखता है?

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और पृथ्वी से जुड़े ऐसे ही जानकारी में आपके लिए Gyan Ki Baatein में लाता रहता हु आप और भी ऐसेही इंट्रेस्टिंग टॉपिक्स के बारे में पढ़ सकते है| अपना कीमती वक्त इस जानकारी को पढने के लिए आपका धन्यवाद् ।

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