पृथ्वी हमारा घर आज हमें मालूम है कि यदि पृथ्वी पर लाइफ है तो क्यों है? हमारा सूर्य समुद्र को गरम करता है।
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Toggleऔर उससे वह परफेक्ट वातावरण पैदा होता है जो हर तरह के जीवन के लिए जरूरी है। सबसे छोटे से लेकर उस बड़े जानवर तक जो उन्हें खाते हैं।
यहां पेड़ पौधों और जानवरों की अनगिनत प्रजातियां रहती हैं, जिन्हें वायुमंडल की एक मोटी चादर बचाकर रखती है।
हमारे लिए यह स्वर्ग है, लेकिन आज हमने इसे बहुत हद तक प्रदूषित कर दिया है।
यदि अब इसे संभाला नहीं गया तो हमें आगे आने वाले कुछ सैकड़ों सालों में शायद दूसरे ग्रह की जरूरत पड़ जाए।
दिनभर होते प्रदूषण, तेजी से बढ़ती जनसंख्या, घटते हुए प्राकृतिक संसाधन और खतरनाक वायरस एक न एक दिन इस सुंदर से घर को हमारे लिए जहरीला बना ही देंगे।
तब मानव सभ्यता को बचाने के लिए हमें जरूरत होगी एक नए घर की जो हमें ब्रम्हांड में केवल वही मिल सकता है जहां पर पृथ्वी की तरह ही रहने लायक ग्रह हो और वहां की जलवायु भी हमारी पृथ्वी की ही तरह हो।
आपके मन में सवाल उठ रहे होंगे कि आखिर यह नया घर मिलेगा कहां? और क्या पृथ्वी के अलावा और किस ग्रह पर जीवन संभव है?
तो जवाब है हां। पृथ्वी के बाहर जीवन संभव है, लेकिन सिर्फ तब जब वहां की जलवायु भी हमारी पृथ्वी की ही तरह हो।
सौरमंडल के बाहर जितने भी प्लैनेट्स यानी कि ग्रह खोजे गए हैं, उन्हें एक्सोप्लैनेट कहा जाता है। ये सारे ही एक्सोप्लैनेट अपने स्टार की परिक्रमा करते हैं, ठीक वैसे ही जैसे पृथ्वी सूर्य की करती है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि आने वाले समय में ये ग्रह हमारे बसने के लिए एक सही जगह साबित हो सकते हैं।
लेकिन सिर्फ तब जब ये अपने तारे के हैबिटेट जोन में हो। किसी अन्य ग्रह पर जीवन की संभावना होने के लिए वहां पर पानी का लिक्विड फॉर्म में होना बहुत ज़रूरी है और पानी के लिक्विड फॉर्म में होने के लिए उस ग्रह का अपने तारे के हैबिटेट जोन में होना ज़रूरी है।
हैबिटेट जोन क्या है?
आइए सबसे पहले तो जानते हैं कि ये हैबिटेट जोन क्या है। तो दोस्तो किसी तारे का हैवी टेबल ज़ोन वह ज़ोन या क्षेत्र है जहां उपस्थित ग्रह ना तो अपने तारे से बहुत दूर होता है और न ही वह अपने तारे के बहुत पास होता है।
जैसे कि हमारी पृथ्वी, हमारी पृथ्वी अपने सूर्य के हैबिटेट जोन में आती है, न ज्यादा पास और न ज्यादा दूर।
असल में अगर कोई प्लैनेट अपने स्टार के बहुत करीब होगा तो गर्मी के कारण प्लैनेट पर उपस्थित पानी भाप बनकर उड़ जाएगा।
और अगर कोई प्लैनेट अपने स्टार से बहुत दूर होगा तो ठंडक के कारण प्लैनेट पर उपस्थित पानी बर्फ बन जाएगा। और ये दोनों ही कंडीशंस जीवन पनपने योग्य नहीं हैं।
इसलिए किसी भी ग्रह का अपने तारे के हैबिटेट ज़ोन में होना बेहद ज़रूरी है जिससे वहां का पानी लिक्विड फॉर्म में रह सके।
जब वैज्ञानिक इस तरह के ग्रहों की खोज में निकले तो उन्हें ऐसे कई ग्रह मिले जो अपने स्टार के हैबिटेट जोन में उपस्थित थे।
लेकिन अब सवाल यह उठता है कि क्या हम इन एक्सोप्लैनेट तक कभी पहुँच पाएंगे? क्योंकि ये तो हमारी पृथ्वी से कई लाइट इयर्स यानि की कई प्रकाशवर्ष दूर है। और मान लीजिए अगर हम वहां तक पहुँच भी गए तो क्या हम वहां के वातावरण में रह पाएंगे?
क्योंकि हमारे जिंदा रहने के लिए वहां का एटमॉस्फियर बिल्कुल पृथ्वी जैसा होना बेहद ज़रूरी है।
वैज्ञानिकों ने एक ऐसा ग्रह खोज निकाला है जो हमारी पृथ्वी से काफी हद तक मेल खाता है और यह प्लैनेट अपने स्टार के हैबिटेट जोन में भी उपस्थित है।
तो चलिए अभी हम जानेंगे के पृथ्वी के अलावा और किस ग्रह पर जीवन संभव है? और आखिर पृथ्वी से मिलता-जुलता ग्रह कौन सा है?
और पढे : पृथ्वी की उत्पत्ति कैसे हुई
पृथ्वी के अलावा और किस ग्रह पर जीवन संभव है?
केप्लर 452 बी यह ग्रह पृथ्वी से काफी मिलता जुलता होने के कारण वैज्ञानिक इसे पृथ्वी का भाई भी कहते हैं। । केप्लर 452 बी जो कि हमारी पृथ्वी से 1400 लाइट इयर्स दूर है। इस ग्रह की खोज जुलाई 2015 में की गई थी।
जिस तरह पृथ्वी सूर्य के हैबिटेट जोन में आती है, ठीक उसी तरह केप्लर 452 बी प्लैनेट भी अपने स्टार केपलर फोर फिफ्टी के हैबिटेट जोन में आता है। केप्लर 452 बी आकार में हमारी पृथ्वी से 60% ज्यादा बड़ा है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि अब तक जितने भी प्लैनेट्स अपने स्टार के हैबिटेट जोन में मिले हैं, उनमें से केप्लर 452 बी सबसे छोटा ग्रह है और शायद इसीलिए 60% बड़ा होने के बावजूद इसे नियर अर्थ साइज वर्ल्ड कहा जाता है।
अगर हम बात करें यहां के एटमॉस्फियर में रहने की तो पानी के बाद जो दूसरा मेंडेटरी एलिमेंट है वह है प्रकाश।
तो चूंकि केप्लर 452 बी का तारा काफी कुछ हमारे सूर्य जैसा ही है, इसलिए हमें इस ग्रह पर प्रकाश लगभग वैसा ही महसूस होगा जैसा कि सूर्य का पृथ्वी पर। केप्लर 452 बी हमारे सूर्य की तरह ही एक जी टाइप स्टार है।
G- टाइप स्टार क्या है?
चलिए अब समझते हैं कि आखिर यह जी टाइप स्टार क्या है। यहां हम आपको तीन कैटेगरीज के बारे में बताएंगे।
1. M-स्टार
ऐसा तारा जो हमारे सूर्य से थोड़ा छोटा और ठंडा हो वह M-स्टार की कैटिगरी में आता है और।
2. K-स्टार
ऐसा तारा जो हमारे सूर्य के कम्पैरिसन मे काफी छोटा और ठंडा हो वह K-स्टार की कैटिगरी में आता है।
3. G-स्टार
ऐसा तारा जो सूर्य के समान ही हो, वह G-टाइप स्टार की कैटेगरी में आता है।
केप्लर 452 बी ग्रह भी अपने तारे की परिक्रमा लगभग उतनी ही दूरी से करता है जितनी की पृथ्वी सूर्य से। चूंकि केप्लर 452 बी का कक्ष पृथ्वी की कक्षा से थोड़ा बड़ा है, इसलिए इसे अपने तारे की एक परिक्रमा पूरी करने में 385 दिन यानी कि पृथ्वी से मात्र 20 दिन ज्यादा लगते हैं।
इस ग्रह का ऑर्बिट पृथ्वी के ऑर्बिट से केवल 5% ही बड़ा है। यानि कि अर्थ और सन के बीच की दूरी जितनी है उससे केपलर फोर फिफ्टी टू बी और केपलर फोर फिफ्टी टू के बीच की दूरी 5% ज्यादा है।
दोस्तों इससे पहले तक हम सिर्फ यही समझते आए थे कि जीवन केवल एक ग्रह पृथ्वी पर ही मौजूद है और हमारा सूर्य इस ब्रह्मांड में सबसे प्राचीन है।
लेकिन ऐसा सोचना सरासर गलत है। हमारे स्टार सिस्टम की तरह ही इस ब्रम्हांड में अनेकों स्टार सिस्टम्स हैं जिनके अपने अपने तारे और उनके कई सारे ग्रह हैं।
केप्लर 452 बी भी इन्हीं में से एक है। इस तारे की उम्र छह बिलियन साल है। यानी कि यह तारा हमारे सूर्य से भी डेढ़ बिलियन साल पुराना है।
केपलर फोर फिफ्टी तारे का व्यास सूर्य के व्यास से लगभग 10% बड़ा है और सूर्य से 20% चमकदार भी है।
इस तारे का टेम्परेचर भी सूर्य के बराबर ही है। जहां सूर्य का टेम्परेचर पाँच हज़ार 778 कैल्विन है वहीं केपलर फोर फिफ्टी का टेम्परेचर पाँच हज़ार 757 कैल्विन है। इतनी सारी सिमिलैरिटी के कारण ही वैज्ञानिक केपलर फोर फिफ्टी टू बी प्लैनेट को अर्थ टू पॉइंट जीरो भी कहते हैं।
दोस्तो, किसी भी ग्रह पर रहने के लिए उस ग्रह पर जमीन का होना बेहद जरूरी है। पहले हुई कुछ खोजों के आधार पर यह कहा जा रहा है कि संभावना है कि केपलर फोर फिफ्टी टू बी की सतह रॉकी हो।
केपलर फोर फिफ्टी टू बी प्लैनेट का व्यास पृथ्वी की तुलना में 60% ज्यादा बड़ा है, इसलिए इसे सुपर अर्थ भी कहा जाता है।
इस प्लैनेट की सरफेस ग्रैविटी भी पृथ्वी से दो गुनी है। अगर कभी हम इस ग्रह पर जाएं तो हमें अपना वजन दुगना महसूस होगा मानो हमने खुद को ही अपनी पीठ पर टांग रखा हो।
दोस्तों अब सोचने वाली बात यह है कि जब पृथ्वी और केपलर फोर फिफ्टी टू बी पर सारी परिस्थितियां लगभग एक जैसी ही हैं और केप्लर 452 बी प्लैनेट हमारी पृथ्वी से भी काफी पुराना है और साथ ही यह अपने स्टार केपलर फोर फिफ्टी के हैबिटेट जोन में पिछले छह बिलियन सालों से है।
तो हो सकता है कि इस प्लैनेट पर आज जीवन मौजूद हो। हालांकि इस बात का अभी तक कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला है।
हमारे वैज्ञानिक लगातार इस खोज में लगे हैं कि क्या हम भविष्य में यहां अपना घर बसा सकते हैं।
वैज्ञानिकों को अब तक मिले डेटा के अनुसार उनका मानना यह है कि पृथ्वी के बाद यह ग्रह जीवन के लिए सबसे कारगर साबित हो सकता है।
लेकिन दोस्तों इस ग्रह पर जीवन बसाने के लिए सबसे बड़ी बाधा जो हमारे सामने है वह है इस ग्रह तक पहुंचने की।
यह ग्रह हमसे 1400 प्रकाश वर्ष दूर है। 200 प्रकाश वर्ष उस दूरी को कहा जाता है जिसे प्रकाश एक वर्ष में तय करता है।
यानी कि एक साल में प्रकाश जितनी यात्रा या जितनी दूरी तय करेगा, उसे एक प्रकाशवर्ष दूर कहा जाएगा।
इस तरह समझा जाए तो केपलर फोर फिफ्टी टू बी हमसे इतनी दूरी पर है, जहां प्रकाश को भी पहुंचने में 1400 साल लगते हैं।
यानी कि अगर हम वॉयजर वन की स्पीड से भी यात्रा करें जोकि एक हज़ार किलोमीटर प्रतिघंटा है, तब भी हमें इस प्लैनेट तक पहुंचने में 2,60,00,000 साल लगेंगे।
ऐसे में इस गति से तो केपलर फोर फिफ्टी टू बी तक पहुंचना संभव नहीं है। अगर भविष्य में कोई ऐसी मशीन तैयार हो जाए जो लाइट की स्पीड से ट्रैवल करती हो, तब भी पृथ्वी से इस ग्रह तक पहुंचने में 1400 साल लग जाएंगे। ऐसे में फिलहाल की कंडीशन में तो इस ग्रह तक पहुंचना असंभव ही लगता है।
फिलहाल तो हमारे लिए यही अच्छा होगा कि हम अपने इस ग्रह पृथ्वी को और ज्यादा प्रदूषित होने से और खत्म होने से बचाएं ताकि हम अपने सर्वनाश से बच सकें।
तो दोस्तों ये थी पृथ्वी के अलावा और किस ग्रह पर जीवन संभव है इसके बारे मे जानकारी आपको कैसी लगि हमे कमेंट करके जरूर बताएं।
पसंद आया हो तो हमारे Gyan Ki Baatein मे हुमने आपके लिए ऐसे ही और भी अच्छी अच्छी जानकारी दी है उसे भी पढे मैं हूं आपका दोस्त Shubham Ghulaxe मे एक Geologist हु मे आपके लिए Science से जुड़ी ऐसेही जानकारी लाता रहूँगा फिर मिलेंगे अगले ब्लॉग में नए टॉपिक के साथ धन्यवाद।