हाल ही में, सूर्य की सतह पर एक विशाल सनस्पॉट (Sunspot) सक्रिय हो गया है, जिसने वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष उत्साही लोगों का ध्यान खींचा है।
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Toggleयह सनस्पॉट न केवल आकार में बहुत बड़ा है, बल्कि इससे कई सौर ज्वालाएं (Solar Flare) भी निकल रही हैं।
आइए जानते हैं कि ये घटनाएं क्या हैं और पृथ्वी पर इनका क्या प्रभाव हो सकता है।
सूर्य पर कैसा चल रहा है तूफान?
सूर्य निरंतर रूप से आवेशित कणों और विकिरण का उत्सर्जन करता है।
लेकिन, कभी-कभी इसकी सतह पर तीव्र चुंबकीय गतिविधियां होती हैं, जिससे सौर ज्वालाएं निकलती हैं।
ये ज्वालाएं आवेशित कणों और विकिरण का एक तीव्र विस्फोट होती हैं, जो प्रकाश की गति से अंतरिक्ष में यात्रा करती हैं।
वहीं, सूर्य की सतह पर ठंडे और गर्म क्षेत्रों के बीच असंतुलन के कारण सनस्पॉट बनते हैं।
ये अस्थायी, गहरे रंग के क्षेत्र होते हैं जो सूर्य के बाकी हिस्सों की तुलना में थोड़े ठंडे होते हैं। हालांकि, सनस्पॉट से भी तीव्र सौर ज्वालाएं निकल सकती हैं।
हाल ही में सक्रिय हुआ सनस्पॉट बहुत बड़ा है, इसकी चौड़ाई लगभग 8 लाख किलोमीटर बताई जा रही है।
तुलनात्मक रूप से पृथ्वी का व्यास लगभग 13 हजार किलोमीटर है। इस विशाल सनस्पॉट से कई सौर ज्वालाएं निकल चुकी हैं।
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पृथ्वी पर क्या होगा असर?
सौर ज्वालाओं का पृथ्वी के वातावरण से सीधा संपर्क नहीं होता है, क्योंकि हमारे ग्रह का चुंबकीय क्षेत्र इन कणों को बचाता है।
हालांकि, तीव्र सौर ज्वालाएं पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में गड़बड़ी पैदा कर सकती हैं, जिसे भू-चुंबकीय तूफान (Geomagnetic Storm) कहा जाता है।
भू-चुंबकीय तूफान का पृथ्वी पर कई तरह का प्रभाव हो सकता है, जिनमें शामिल हैं:
- उपग्रहों में गड़बड़ी: तीव्र विकिरण उपग्रहों के संचालन में खलल डाल सकता है।
- रेडियो संचार में व्यवधान: भू-चुंबकीय तूफान रेडियो तरंगों को बाधित कर सकता है, जिससे विमानन और जहाजों के संचार में समस्या हो सकती है।
- बिजली ग्रिड में गड़बड़ी: कुछ मामलों में, भू-चुंबकीय तूफान बिजली ग्रिड में धाराओं को प्रेरित कर सकता है, जिससे ट्रांसफार्मरों को नुकसान पहुंच सकता है और बड़े पैमाने पर बिजली कटौती हो सकती है।
हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि सभी सौर ज्वालाएं पृथ्वी तक नहीं पहुंचती हैं। और अगर पहुंच भी जाती हैं, तो ज्यादातर मामलों में इनका प्रभाव बहुत कम होता है।
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नासा क्या कर रहा है?
नासा लगातार सूर्य की निगरानी करता है और सौर गतिविधियों का पूर्वानुमान लगाता है।
इसके लिए उन्होंने कई अंतरिक्ष यान समर्पित किए हैं, जैसे कि “सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी” (Solar Dynamics Observatory) और “पार्कर सोलर प्रोब” (Parker Solar Probe)।
यह जानकारी वैज्ञानिकों को सौर ज्वालाओं के आने का समय पर पता लगाने और संभावित खतरों से बचने के लिए एहतियाती कदम उठाने में मदद करती है।
उदाहरण के लिए, बिजली कंपनियां ट्रांसफार्मरों की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त उपाय कर सकती हैं।
निष्कर्ष
हालांकि सूर्य पर सक्रिय सनस्पॉट और सौर ज्वालाएं चिंता का विषय हो सकती हैं, लेकिन फिलहाल पृथ्वी पर किसी बड़े खतरे की संभावना कम है।
नासा और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियां लगातार निगरानी कर रही हैं और हमें सुरक्षित रखने के लिए काम कर रही हैं।
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