क्या समय एक भ्रम है? ब्लैक होल और समय यात्रा के रहस्यों का खुलासा!

2019 के बाद पहली बार हमने ब्लैक होल की अद्भुत तस्वीर देख ली है और अब ब्लैक होल हमारी कल्पना से बाहर आ गया है और उसी के साथ उससे जुड़े सारे रहस्य भी धीरे धीरे करके हमारे सामने आ रहे हैं।

ब्लैक होल समय और रोशनी को बांधे रखता है। आपने इंटरस्टेलर मूवी में ब्लैक होल के कॉन्सेप्ट को जरूर देखा होगा। मूवी में जब एस्ट्रोनॉट्स ब्लैक होल के नजदीकी ग्रह पर जाते हैं तब उनका समय पृथ्वी के मुकाबले धीमा हो जाता है। 

मतलब उनका उस ग्रह पर बिताया हर एक घंटा पृथ्वी पर 7 से 8 साल के बराबर होता है। लेकिन जो लोग उस ग्रह पर होते हैं, उनके लिए समय सामान्य होता है। 

जैसे यदि आपने किसी को ब्लैक होल में जाते हुए देखा तो आपको ऐसा प्रतीत होगा कि उसकी गति धीमी हो रही है और अंततः ऐसा दृश्य दिखाई देगा कि वह स्थिर हो गए। 

लेकिन अगर आप अंदर जाने वाले व्यक्ति होंगे तो आपको समय सामान्य महसूस होगा, जबकि ब्लैक होल के बाहर के लोगों के लिए आपका समय रुका हुआ होगा। 

ब्लैक होल की इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए हम ये मान सकते हैं कि समय हर जगह समान नहीं होता। हमारा पृथ्वी पर बिताया एक साल किसी दूसरे के लिए महज कुछ घंटों के बराबर हो सकता है। यहां तक कि पृथ्वी पर भी हमें कई जगहों पर समय में अंतर देखने को मिलता है। 

आइंस्टाइन के सिद्धांत के अनुसार आप कहां है और कैसे चल रहे हैं, इसके आधार पर समय धीमा या तेज हो सकता है। उदाहरण के लिए यदि आपने अपना पूरा जीवन समुद्र तल पर बिताया है तो तकनीकी रूप से आपकी उम्र किसी पहाड़ की चोटी पर घूमने वाले व्यक्ति की तुलना में थोड़ी कम होगी। 

हिन्दू पुराणों में भी समयचक्र का जिक्र हमें देखने को मिलता है। इन सबमें समय को बहुत बलवान माना गया है। पुराणों में भी ऐसी कई कहानियां लिखी हुई है जिनमें ये बताया गया है कि समय हर जगह समान नहीं होता। आइंस्टाइन की टाइम डाइजेशन थ्योरी भी इस बात को सही साबित करती है।

और भी पढ़े: चंद्रमा के रहस्य का पर्दाफाश! इसका वजन, तापमान, और ब्रह्माण्डीय रहस्य!

दो समान आयु के लोगों में से अगर एक लाइट की स्पीड से ट्रैवल करके फिर से पृथ्वी पर आता है, तो उसकी आयु पृथ्वी पर उसके समान आयु के इंसान से कम होगी। 

क्योंकि जब वह लगभग लाइड की स्पीड से जा रहा होगा तब उसका समय पृथ्वी के मुकाबले धीमा बीतेगा। कमाल की बात तो यह होगी कि जो इंसान पृथ्वी पर रहेगा, उसके लिए उसकी आम जिंदगी उसी समय गति से चलेगी जैसे चलती आ रही थी। 

और जो इंसान लाइट की स्पीड से ट्रैवल कर रहा होगा उसके लिए भी स्पेसशिप में समय सामान्य तरीके से चलेगा। जो भी यह बदलाव होना है वह रेफ्रेंस टाइम फ्रेम में होगा।

हमने टाइम को एक रेफरेंस लेकर निर्धारित किया है। जैसे सूरज का उगना और अस्त होना हमारे लिए दिन का समय होता है और सूरज के डूबने के बाद का समय हमारे लिए रात का समय होता है। लेकिन टाइम डायरेक्शन इन सब बातों से परे है। 

समय की इन अवस्थाओं को देखते हुए कई वैज्ञनिक समय को भ्रम या एक छलावे के रूप में देखते हैं।

लेकिन कई दूसरे वैज्ञानिक मानते हैं कि समय सच है, यह कोई भ्रम नहीं। वास्तव में समय इतना ज्यादा विशाल है कि इसे पूरा मापा जाना संभव नहीं है। 

जैसे हमारी पृथ्वी अपनी एक्सिस पर इस गति से घूमती है। इतना ही नहीं, हमारी आकाशगंगा भी इतनी ज्यादा गति से घूमती है।

लेकिन हम इंसानों पर इस बात का कोई भी असर नहीं होता क्योंकि हम इतने ज्यादा छोटे है कि हमारे लिए ये सब ना के बराबर है। लेकिन इन सब में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इस समय का भी कोई अंत है? 

आम धारणा के अनुसार जिस चीज की शुरुआत होती है उसका एक न एक दिन अंत भी होता है। तो अगर बिग बैंग से पहले समय का कोई अस्तित्व नहीं था तो यह समय बिग बैंग के बाद शुरू हुआ और क्या आगे चलकर इसका भी अंत हो जाएगा? 

और भी पढ़े: अंतरिक्ष में पृथ्वी कैसे टिकी हुई है

बचपन में जब मैंने स्कूल में हमारे सोलर सिस्टम के बारे में पढ़ा था, तब मैं ऐसा सोचता था कि हर ग्रह पर जिंदगी होगी। मतलब मंगल ग्रह पर भी लोग होंगे जो हमारी तरह रोजमर्रा की जिंदगी जी रहे होंगे। लेकिन ऐसा नहीं था।

यह समझने में मुझे थोड़ा समय लगा कि हमारी पृथ्वी पर ही जिंदगी मौजूद है। सिर्फ हम ही हैं जिनके लिए समय भूत काल, वर्तमान काल और भविष्य काल के रूप में मौजूद है।

बाकी ग्रहों के लिए तीनों काल लगभग समान हैं, क्योंकि उन ग्रहों का भूत काल कैसा था, हमें यह पता ही नहीं है। तो क्या सच में हम जो समय अभी देख रहे हैं, यह महज एक भ्रम है?

बचपन की और एक डरावनी बात मुझे बहुत ज्यादा सताती थी। यह बात तो सही है कि बस हमारी पृथ्वी पर ही जीवन मौजूद है, लेकिन यदि यह खत्म हो गया तो यानी हमारी पृथ्वी पर कोई ऐसी विपदा आन पड़ी जिससे पूरे मानव जाति का अंत हो गया तो क्या होगा? 

हमारे लिए सबकुछ खत्म हो जाएगा। न हमारा अपना न ही पराया। कोई भी हमें दूसरी दुनिया में नहीं मिलेगा। यहां तक कि हमें यह भी पता नहीं है कि इंसान कभी किसी दूसरे ग्रह पर रह भी पाएगा या नहीं। 

तो अगर ये सारी बातें सच है तो हमें मान सकते हैं कि समय एक बहुत बड़ा भ्रम है। जो समय आज हमारे लिए है, शायद हमारे खत्म होने के साथ ही वह भी खत्म हो जाएगा।

क्योंकि हमारे पास कोई घटनाएं होंगी ही नहीं, जिसे हम याद कर सकें। तो हमारे लिए समय क्या है और क्या था, यह बस एक पहेली बनकर रह जाएगा। 

हमें केवल आभास हो रहा है कि हम अतीत से भविष्य की ओर आगे बढ़ते जा रहे हैं। हम जो कुछ देख रहे हैं, वह ब्रह्मांड में बढ़ती विसंगतियों का परिणाम है। 

हम 13.8 अरब साल पहले की घटना से आज तक विसंगतियों की दिशा में लगातार आगे बढ़ते जा रहे हैं। बिग बैंग के विस्फोट के बाद से ही हमारा ब्रह्मांड निरंतर विस्तार करता जा रहा है और इस विस्तार की गति और भी तेज होती जा रही है और भविष्य में यह विस्तार अपना भयंकर प्रभाव दिखाने वाला है। 

समय और अंतरिक्ष के अंत के बारे में एक सिद्धांत बताता है कि अंततः एक अति विशाल ब्लैक होल हमारे ब्रह्मांड पर हावी होने लगेगा और सब कुछ उसमें लुप्त हो जाएगा।

और शायद उसके बाद नए समय की रचना होगी। ये बस वो बातें है जो हमारे लिए हमेशा एक अनसुलझी पहेली बने रहेंगी। 

फिलहाल आज का जो समय चल रहा है वह चाहे भ्रम ही क्यों न हो, हमें उसमें जी भरकर जी लेना चाहिए। क्या पता समय अपनी कहानी खुद ही लिख रहा हो। तो आज के ब्लॉग में बस इतना ही।

जानकारी कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताइए क्योंकि आपकी कमेंट से ही मुझे पता लगता है कि मेरी ब्लॉग आपको कितनी पसंद आ रही है तो कमेंट करना मत भूलना।

और भी पढ़े: दिन रात कैसे बनते हैं? जानकर रह जाएंगे हैरान!

Comment HereCancel reply

Exit mobile version