गुरुत्वाकर्षण बल किसे कहते हैं? जानिए इसके बारे में सब कुछ!

दोस्तो आज हम बात करेंगे गुरुत्वाकर्षण बल के बारे में कि पृथ्वी पर आखिरकार गुरुत्वाकर्षण बल क्यों हैं। दोस्तो आज का ब्लॉग पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के ऊपर ही है और इसमें आपको बताऊंगा कि गुरुत्वाकर्षण बल किसे कहते हैं, और गुरुत्वाकर्षण बल क्या है। 

तो आपके दिमाग में कभी ना कभी तो विचार जरूर आया होगा कि आखिर पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण बल क्यों हैं और क्या कारण है इसके होने का। तो दोस्तो आपने कहीं ना कहीं पढ़ा होगा कि पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण बल पाया जाता है जिसके कारण ही हर वह वस्तु जिसे हम ऊपर की ओर फेंकते हैं, उछालते हैं वह वापिस जमीन पर आकर गिरती है। 

यह सब गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही होता है। अगर गुरुत्वाकर्षण बल ना हो तो वस्तु हवा में ही रह जाएगी। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह गुरुत्वाकर्षण बल हर जगह समान नहीं पाया जाता। इसी गुरुत्वाकर्षण बल के कारण वैज्ञानिक बहुत कुछ पता लगा लेते हैं।

गुरुत्वाकर्षण बल की खोज कब हुई और किसने की?

सबसे पहले इस गुरुत्वाकर्षण बल की खोज न्यूटन नामक वैज्ञानिक ने सेब के माध्यम से की थी। कहते हैं एक बार न्यूटन सेब के पेड़ के नीचे बैठे थे तो एक सेब उनके पास आकर गिरा, जिसके कारण उन्होंने सोचा कि सेब नीचे ही क्यों गिरा, ऊपर की ओर क्यों नहीं गया?

इन्हीं सब से उन्होंने गुरुत्वाकर्षण बल की खोज की और इसलिए सबसे पहले गुरुत्वाकर्षण बल की खोज का श्रेय इन्हीं को जाता है।

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गुरुत्वाकर्षण बल किसे कहते हैं

गुरुत्वाकर्षण बल क्या है

किसी भी दो वस्तु या कण या दो पदार्थों के मध्य पाया जाने वाला बल जो उनको एक दूसरे की तरफ आकर्षित करता है वह गुरुत्वाकर्षण बल होता है। 

गुरुत्वाकर्षण बल एक ऐसा बल है जो ना केवल वस्तु पृथ्वी के बीच मौजूद है बल्कि यह इस ब्रह्मांड में मौजूद हर पदार्थ में है। आपने कभी ना कभी तो सोचा होगा कि हम सभी हवा में उड़े और कई बार तो बचपन में छोटे बच्चों को उड़ने की कोशिश करते हुए देखा भी होगा, जिसके लिए वे उछलते हैं, छलांग लगाते हैं लेकिन उड़ नहीं पाते। पता है क्यों? 

क्योंकि जमीन पर मौजूद गुरुत्वाकर्षण बल उन्हें नीचे की ओर खींच लेता है जिसके कारण वह जमीन पर आकर गिर जाते हैं या यह कह सकते हैं कि वह उड़ नहीं पाते। ऐसा इसलिए होता है।

क्योंकि जिस वस्तु का द्रव्यमान अधिक होता है उस वस्तु का गुरुत्वाकर्षण बल भी अधिक होता है और पृथ्वी पर द्रव्यमान व्यक्ति से बहुत अधिक होता है और इसी कारण पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल भी अधिक होता है। 

आपने कई किताबों में पढ़ा होगा कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है पर कभी आपने सोचा है कि ऐसा क्या कारण है कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर क्यों लगाती है?

इन सबका एक ही कारण है। सूर्य का द्रव्यमान पृथ्वी से कई गुना ज्यादा है और इसलिए पृथ्वी को सूर्य अपनी तरफ खींचता है और पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है। या यह कह सकते हैं कि सूर्य के चक्कर लगाती है। 

सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल हम महसूस नहीं कर सकते क्योंकि सूर्य हमसे बहुत अधिक दूरी पर है। हम उसी वस्तु या पदार्थ का गुरुत्वाकर्षण बल महसूस कर सकते हैं जो हमारे बहुत नजदीक है। इसी कारण हमें पृथ्वी पर मौजूद गुरुत्वाकर्षण बल का एहसास होता है ।

क्योंकि हम पृथ्वी के बहुत नजदीक है और यही कारण है कि अंतरिक्ष में वस्तु हो या इंसान हर चीज उड़ने लगती है क्योंकि अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण बल नहीं होता है।

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गुरुत्वाकर्षण बल क्यों जरूरी है?

पृथ्वी

तो दोस्तों अब बात करेंगे कि गुरुत्वाकर्षण बल क्यों जरूरी है हमारे लिए। अब आपको बताते हैं कि आखिर हमारे लिए क्यों जरूरी है गुरुत्वाकर्षण बल और अगर यह नहीं हो तो क्या होगा? दोस्तो अगर पृथ्वी से गुरुत्वाकर्षण बल खत्म हो जाएगा तो जीवन यापन भी खत्म हो जाएगा। 

क्योंकि गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही पृथ्वी पर हवा, पानी और प्रकाश मौजूद है। अगर गुरुत्वाकर्षण बल नहीं होगा तो यह सब भी नहीं होगा और सब अंतरिक्ष में जैसे यहां भी हवा में उड़ेंगे। पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण बल नहीं होने के कारण सब कुछ नष्ट हो जाएगा। 

पृथ्वी पर मौजूद गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही हम लोग आसानी से पृथ्वी पर हवा, पानी और प्रकाश का उपयोग कर सकते हैं।

गुरुत्वाकर्षण बल कितनी ऊंचाई तक है?

पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल अनंत तक है, लेकिन जितनी दूर तक हम जाते हैं, उतना ही कम होता जाता है। पृथ्वी की सतह पर, गुरुत्वाकर्षण बल लगभग 9.8 मीटर/सेकेंड^2 (32.2 फीट/सेकेंड^2) होता है।

100 किलोमीटर की ऊंचाई पर, गुरुत्वाकर्षण बल लगभग 7.8 मीटर/सेकेंड^2 (25.7 फीट/सेकेंड^2) होता है। 10,000 किलोमीटर की ऊंचाई पर, गुरुत्वाकर्षण बल लगभग 6.8 मीटर/सेकेंड^2 (22.3 फीट/सेकेंड^2) होता है।

अंततः, गुरुत्वाकर्षण बल इतना कम हो जाता है कि इसे मापना मुश्किल हो जाता है। हालांकि, यह माना जाता है कि यह कभी भी शून्य नहीं हो जाता है।

गुरुत्वाकर्षण बल कितनी ऊंचाई तक है?

गुरुत्वाकर्षण बल एक मौलिक बल है जो ब्रह्मांड में सभी वस्तुओं को एक दूसरे की ओर आकर्षित करता है। यह एक बहुत ही शक्तिशाली बल है जो पृथ्वी पर जीवन को संभव बनाता है।

गुरुत्वाकर्षण बल की कुछ प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  • यह एक आकर्षण बल है, जिसका अर्थ है कि यह वस्तुओं को एक दूसरे की ओर खींचता है।
  • यह एक दूरी-आधारित बल है, जिसका अर्थ है कि यह वस्तुओं के बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
  • यह एक द्रव्यमान-आधारित बल है, जिसका अर्थ है कि यह वस्तुओं के द्रव्यमान के वर्ग के समानुपाती होता है।

पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी के आकार और द्रव्यमान के कारण होता है। पृथ्वी का आकार एक गोले के समान है, और इसका द्रव्यमान बहुत अधिक है। यह गुरुत्वाकर्षण बल पैदा करता है जो पृथ्वी पर सभी वस्तुओं को अपनी ओर खींचता है।

पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल हमारे जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। यह हमें जमीन पर रखता है और हमें वायुमंडल में सांस लेने की अनुमति देता है। यह पृथ्वी पर पानी को भी बनाए रखता है, जिससे जीवन संभव होता है।

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