जानिए पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी कितनी है?

चन्द्रमा हम सभी रात को देखते है और ये बोहोत ही खुबसूरत दिखाई देता है तो चलिए इस ब्लॉग में समझते हैं कि पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी कितनी है। वहीं चन्द्रमा और पृथ्वी के सबसे पास की दूरी और सबसे दूर की दूरी कितनी है?

अगर आपको नहीं पता तो मैं आपको बता दूं कि पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की कक्षा अंडाकार है और इसीलिए दोनों पिंडो की बीच की दूरी अलग अलग है।

पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी कितनी है?

पृथ्वी से चंद्रमा की औसतन दूरी 384,400 किलोमीटर या फिर 2,38 855 मील है। 

जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है तो इसे पैरिटी कहा जाता है और इस वक्त पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी 3,63,104 किलोमीटर या फिर 2,25, 623 मील होती है। 

और जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे दूर होता है तो इसे अपू कहा जाता है और इस वक्त पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी 4,05,696 किलोमीटर या फिर 2,52,088 मील होती है।

अभी आपके मन में सवाल होगा आखिर पृथ्वी से चांद तक पहुंचने में कितना समय लगता है? चलिए जानते है|

पृथ्वी से चांद तक पहुंचने में कितना समय लगता है?

यह बात तो हम सब जानते हैं कि चांद पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है और जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट अक्ष पर होता है तब इसकी चमक बिंदु की अपेक्षा में लगभग 30 पर्सेंट तक अधिक हो जाती है। 

पृथ्वी सौरमंडल के नौ ग्रहों में से एक है और वहीं चांद पृथ्वी का उपग्रह है। जिस प्रकार हमारी पृथ्वी सूरज के चारों ओर परिक्रमा करती है, ठीक उसी प्रकार चांद भी पृथ्वी के चारों ओर निरंतर परिक्रमा करता रहता है।

तो चलिए जानते हैं कि पृथ्वी से चांद तक पहुंचने में कितना समय लगता है। पृथ्वी से चांद की दूरी इस बात पर निर्भर करती है कि हम जिस विमान से यात्रा कर रहे हैं, उसकी गति क्या है।

चंद्रमा पर पृथ्वी से भेजे गए विमान में सबसे कम गति वाला विमान ईएसए स्मार्ट वन(ESA Smart 1) चंद्रमा पर लगभग एक साल एक महीने दो सप्ताह में पहुंचा था। 

वहीं अब तक का सबसे तेज गति का विमान। नासा का न्यू हॉरिजन ने करीब 8 घंटे 35 मिनट में पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी तय कर ली थी।

यह पृथ्वी से चंद्रमा के बीच की यात्रा को तय करने वाला अब तक का सबसे तेज विमान था, जो इतने कम समय में पृथ्वी से चंद्रमा तक पहुंच पाया था।

क्या आपके मन में अभी एक सवाल आ रहा है के आखिर भारत में सबसे पहले चंद्रमा पर कौन गया था? तो चलिये जानते है।

और पढ़े : क्या मंगल ग्रह पर जीवन संभव है

भारत में सबसे पहले चंद्रमा पर कौन गया था?

अभी तक भारत हमारे में से कोई भी व्यक्ति चंद्रमा पर नहीं गया है। राकेश शर्मा 2 अप्रैल 1984 को सोवियत अंतरिक्ष यान सोयुज टी -11 में सवार होकर अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय थे। 

उन्होंने सोवियत अंतरिक्ष यात्री यूरी मल्यशेव और जेन्नाडी स्त्रेकालोव के साथ सैल्यूट 7 अंतरिक्ष स्टेशन पर 7 दिन, 21 घंटे और 40 मिनट बिताए।

चंद्रयान-1 22 अक्टूबर 2008 को भारत द्वारा प्रक्षेपित पहला चंद्र अन्वेषण यान था। इसने चंद्रमा की सतह का सफलतापूर्वक मानचित्रण किया और वैज्ञानिक डेटा एकत्र किया।

चंद्रयान-2 22 जुलाई 2019 को प्रक्षेपित किया गया था, लेकिन लैंडिंग के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।

चंद्रयान-3 15 अगस्त 2023 को प्रक्षेपित किया गया था। यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला भारत का पहला मिशन है।

चंद्रमा से पृथ्वी कैसी दिखती है?

हमलोग पृथ्वी से चंद्रमा को तो रोज देखते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि चंद्रमा से हमारी पृथ्वी कैसी दिखती है? 

यह है चंद्रमा और यह चंद्रमा से लगभग 3,84,400 किलोमीटर दूर हमारी पृथ्वी चंद्रमा से पृथ्वी को देखने पर हमारी धरती एक ही जगह लटकी और चंद्रमा से चार गुना बड़ी दिखाई देती है। 

वैज्ञानिकों के अनुसार जितना प्रकाशित चंद्रमा हम पृथ्वी वासियों को करता है, उससे 4500 गुना ज्यादा पृथ्वी चंद्रमा को प्रकाशित करती है। 

चंद्रमा से पृथ्वी की पहली फोटो 28 अगस्त सन 1966 को चंद्रमा के आसपास घूम रहे एक सेटेलाइट के द्वारा ली गई थी, जो यह तस्वीर है।

और पढ़े : पृथ्वी की परतें क्या है

चंद्रमा पर ऑक्सीजन है या नहीं?

चंद्रमा पर ऑक्सीजन है, लेकिन यह पृथ्वी की तुलना में बोहोत ही कम मात्रा में पाई गयी है।

चंद्रमा की सतह पर ऑक्सीजन गैस के रूप में नहीं है, बल्कि खनिजों के रूप में बनी हुई है। चंद्रमा की मिट्टी में ऑक्सीजन सबसे अधिक मात्रा में मिलने वाला तत्व है, जो लगभग 45% है।

वैज्ञानिकों ने चंद्रमा से ऑक्सीजन निकालने के कई तरीकों पर रिसर्च की है। जिसमे एक तरीका है चंद्रमा की मिट्टी को गर्म करके उसमे से ऑक्सीजन गैस बहार निकलेगी।

और एक तरीका है सूर्य की ऊर्जा का उपयोग करके पानी को ऑक्सीजन और हाइड्रोजन में अलग अलग करके निकाल सकते है।

चंद्रमा से ऑक्सीजन निकालना भविष्य में मनुष्य के अंतरिक्ष सफ़र के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है।

यह अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर लंबे समय तक रहने और अंततः मंगल ग्रह और अन्य ग्रहों की यात्रा करने में बोहोत ही मददगार साबित हो सकती है।

हमें इस बात का भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि चंद्रमा पर ऑक्सीजन निकालना एक बड़ी चुनौती का काम है।

चंद्रमा पर गुरुत्वाकर्षण बल कम है, इसके वजेसे खनिजों से ऑक्सीजन निकालना बेहद ही मुश्किल काम हो सकता है।

इसके अलावा, चंद्रमा पर कोई वायुमंडल भी नहीं है, जिससे अंतरिक्ष यात्रियों को सांस लेने के लिए विशेष उपकरणों की आवश्यकता लगेगी.

निष्कर्ष:

इस समापन में, यह ब्लॉग पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी के रोचक सवालों में खोज करता है।

इसमें चंद्रमा और पृथ्वी के बीच सबसे कम और सबसे अधिक दूरी को छूने का प्रयास किया गया है, जो भिन्न-भिन्न दूरियों की ओर ले जाने वाले अंडाकारी कक्ष को बलात्कारपूर्वक दिखाता है।

औसत दूरी लगभग 384,400 किलोमीटर या 238,855 मील के आसपास है। पृथ्वी से चंद्रमा तक यात्रा करने में समय विमान की गति पर निर्भर करता है।

विशेषकर, ईएसए स्मार्ट 1 ने चंद्रमा तक पहुंचने में लगभग एक साल और एक महीना का समय लिया, जबकि नासा के न्यू हॉरिजन्स ने इस दूरी को केवल 8 घंटे और 35 मिनट में तय किया, जो एक रिकॉर्ड है।

हालांकि भारत से अब तक कोई व्यक्ति चंद्रमा पर यात्रा नहीं कर पाया है, देश ने चंद्र अन्वेषण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 

2008 में प्रक्षेपित चंद्रयान-1 ने चंद्रमा की सतह का सफलतापूर्वक मानचित्रण किया, जबकि चंद्रयान-2, जो एक लैंडिंग दुर्घटना का सामना कर रहा था, चंद्रमा की अन्वेषण को आगे बढ़ाने का लक्ष्य रखा था।

2023 में प्रक्षेपित चंद्रयान-3 ने भारत के पहले सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास किया है, जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर हुआ।

ब्लॉग ने यह भी स्पष्ट किया है कि चंद्रमा से पृथ्वी की दृष्टि पर, चंद्रमा से पृथ्वी को तिन गुणा बड़ा दिखाई देता है, जो पृथ्वी से चंद्रमा की तुलना में तीन गुणा बड़ा है।

अंत में, ब्लॉग मून पर ऑक्सीजन की मौजूदगी पर पर्ची लगाता है, बताते हुए कि चंद्रमा की मिट्टी में ऑक्सीजन है।

लेकिन यह वायुमंडल में नहीं है, और चंद्रमा से ऑक्सीजन निकालना भविष्य में अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।

चंद्रमा पर दीर्घकालिक रहने में सहारा प्रदान करता है और यात्राएं मंगल और अन्य ग्रहों की समर्थन करने में समर्थ हो सकता है।

हालांकि, यह चंद्रमा की कम गुरुत्वाकर्षण और वायुमंडल की कमी के कारण इस प्रक्रिया में आने वाली चुनौतियों को स्वीकार करता है।

तो दोस्तों, यह जानकारी आपको कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएं और यह जानकारी अपने दोस्तों से जरुर शेयर करे। 

दोस्तों मेरा नाम Shubham Ghulaxe है में एक Geologist हु। और Science से जुड़े ऐसे ही जानकारी में आपके लिए Gyan Ki Baatein में लाता रहता हु आप और भी ऐसेही इंट्रेस्टिंग टॉपिक्स के बारे में पढ़ सकते है| अपना कीमती वक्त इस जानकारी को पढने के लिए आपका धन्यवाद्।

Comment HereCancel reply

Exit mobile version