आज मैं आपको बताने जा रहा हूँ। अंटार्कटिक महासागर के बारे में। आखिर इस महासागर में ऐसा क्या है? जो अन्य महासागरों से इसे अलग बनाता है।
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Toggleआइए जानते हैं इसके बारे में। सबसे पहले तो मैं आपको बता दूं कि अंटार्कटिक महासागर दक्षिण ध्रुवीय महासागर के नाम से जाना जाता है।
ऐसा इसलिए क्योंकि ये महासागर दक्षिणी ध्रुव पर स्थित है। दक्षिणी ध्रुव को अंग्रेजी में साउथ पोल कहा जाता है और इस महासागर को साउदर्न ओसियन के नाम से जाना जाता है।
लेकिन अब आप सोच रहे होंगे कि इसका नाम अंटार्कटिक महासागर कैसे पड़ा। चूंकि यह महासागर अंटार्टिका महाद्वीप में चारों ओर फैला हुआ है, इसीलिए इसे अंटार्टिका महासागर कहा जाता है।
एक बात जानकर आपको काफी आश्चर्य होगा कि सन 1911 तक दक्षिणी ध्रुव पर एक भी मनुष्य नहीं पहुँच पाया था। इस महासागर में कई ऐसे जीव पाये जाते हैं जो अन्य महासागरों की तुलना में एकदम अलग हैं।
एक बात मैं और आपको बता दूँ की अंटार्टिका में बहुत कम बारिश होती है इसलिए इसे ठंडा रेगिस्तान माना जाता है। इसलिए यहां कोई स्थायी निवासी नहीं है।
अंटार्कटिक महासागर में पाए जाने वाले जीव
यहां केवल पेंगुइन, सील तथा अलग अलग तरह के सूक्ष्मजीव और टुंड्रा वनस्पति भी पाई जाती है। अंटार्कटिक महासागर व्हेल मछली के शिकार के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां से वेल मछली का बड़ी मात्रा में व्यवहार किया जाता है।
अंटार्कटिक महासागर विश्व का सबसे ठंडा, शुष्क और तेज हवाओं वाला महासागर है। अंटार्कटिक महासागर साल के लगभग सभी महीनों में और खासकर सर्दी के मौसम में बर्फीली तूफानी हवाएं चलती है और यह महासागर में बर्फ के बड़े बड़े पहाड़ तैरते रहते।
अंटार्कटिक महासागर का क्षेत्रफल
अंटार्कटिक महासागर का क्षेत्रफल 20,327,000 वर्ग किलोमीटर (7,850,000 वर्ग मील) है। यह क्षेत्रफल में दुनिया का चौथा सबसे बड़ा महासागर है। अंटार्कटिक महासागर का विस्तार 60 डिग्री दक्षिण अक्षांश से दक्षिण में है और यह संपूर्ण अंटार्कटिका महाद्वीप को घेरे हुये है (उत्तर दिशा से)।
अंटार्कटिका इतना ठंडा क्यों है
अंटार्कटिका इतना ठंडा है क्योंकि यह कई कारकों के कारण है, जिनमें शामिल हैं:
- स्थान: अंटार्कटिका पृथ्वी का सबसे दक्षिणी महाद्वीप है और यह दक्षिणी ध्रुव के चारों ओर स्थित है। दक्षिणी ध्रुव पृथ्वी पर सबसे ठंडा स्थान है।
- ऊंचाई: अंटार्कटिका का अधिकांश भाग समुद्र तल से ऊपर 2,000 मीटर (6,600 फीट) से अधिक ऊंचाई पर स्थित है। ऊंचाई के साथ तापमान में गिरावट आती है, इसलिए अंटार्कटिका की ऊंचाई इसका तापमान कम करने में योगदान देती है।
- वायुमंडलीय दबाव: अंटार्कटिका में वायुमंडलीय दबाव कम होता है। कम वायुमंडलीय दबाव के साथ, ऊष्मा का अवशोषण कम होता है, इसलिए अंटार्कटिका का तापमान कम होता है।
- समुद्री धाराएं: अंटार्कटिक महासागर में बहने वाली समुद्री धाराएं अंटार्कटिका के तापमान को प्रभावित करती हैं। ये धाराएं अंटार्कटिका से गर्म पानी को दूर ले जाती हैं, जिससे महाद्वीप ठंडा रहता है।
- बर्फ की परत: अंटार्कटिका का लगभग 98% हिस्सा बर्फ से ढका हुआ है। बर्फ सूर्य की गर्मी को परावर्तित करती है, जिससे महाद्वीप ठंडा रहता है।
अंटार्कटिका में सबसे कम तापमान -89.2 डिग्री सेल्सियस (-128.6 डिग्री फ़ारेनहाइट) दर्ज किया गया है। अंटार्कटिका में औसत तापमान गर्मियों में -10 डिग्री सेल्सियस (14 डिग्री फ़ारेनहाइट) और सर्दियों में -50 डिग्री सेल्सियस (-58 डिग्री फ़ारेनहाइट) होता है।
हाल के वर्षों में, अंटार्कटिका का तापमान बढ़ रहा है। इस बढ़ते तापमान का ग्लोबल वार्मिंग के कारण होने का संदेह है। अंटार्कटिका का तापमान बढ़ने से बर्फ की परत पिघलने लग सकती है, जिससे समुद्र का स्तर बढ़ सकता है।
अंटार्कटिक महासागर की खास बात यह है कि इस महासागर में विशालकाय हिमशैल या कहें हिमखंड तैरते रहते हैं। कई हिमखंड की ऊंचाई इतनी ज्यादा होती है कि इसके सामने पृथ्वी पर कई पहाड़ बौने नजर आएंगे। समुद्री खोजकर्ताओं ने इस सागर में कई ऐसे प्रकार के हिमशैल भी देखे हैं जिनका क्षेत्रफल 100 वर्ग मील से अधिक था।
इनमें से कुछ हिमशैल की मोटाई 1000 फीट से भी अधिक थी। सर्दियों के दौरान अंटार्टिका महासागर का आधा हिस्सा हिमखंडों और बर्फ में ढक जाता है। अंटार्टिका की बर्फ की चादर से कुछ बर्फ और हिमखंड टूटते हैं और अंटार्टिका महासागर के पानी में तैरते हैं।
कुछ हिमशैल तैरते तैरते समीपस्थ अन्य महासागरों में भी चले जाते हैं। दुनिया की सबसे बड़ी पेंग्विन प्रजाति अंटार्टिका महासागर की बर्फ और अंटार्टिका महाद्वीप पर रहती है।
दुनिया का 90% बर्फ अंटार्टिका में अंटार्टिका महासागर की सीमाओं के भीतर निहित यह महाद्वीप दुनिया में सबसे ठंडा महाद्वीप है। अंटार्टिका महासागर में गर्मी का मौसम अक्टूबर से फरवरी तक चलता है जबकि सर्दियों का मौसम मार्च से सितंबर तक चलता है।
अंटार्कटिक महासागर की गहराई कितनी है
अंटार्कटिक महासागर की बर्फ के सतह के नीचे समुद्र का पानी केवल -दो डिग्री सेल्सियस तक पहुंचता है। अंटार्टिका महासागर का सबसे गहरा हिस्सा दक्षिणी सैंडविच ट्रेंच का दक्षिणी छोर है जो 23 हज़ार फीट गहरा है और अंटार्टिका महासागर की औसत गहराई 1300 से 1600 फीट है।
यहां पर तापमान माइनस 100 डिग्री फारेनहाइट से भी कम हो सकता है। धरती पर सबसे ठंडा तापमान अंटार्टिका में ही दर्ज किया गया है। यह -128 डिग्री फारेनहाइट था। ऐसा माना जाता है कि अंटार्टिका महासागर की ओर अंटार्टिका महाद्वीप की बर्फ की चादर पिघली तो दुनिया भर के समुद्र की ऊंचाई 65 मीटर तक बढ़ जाएगी और पूरी दुनिया में हाहाकार मच सकता है।
तो आज मैंने आपको अंटार्कटिक महासागर के बारे में जानकारी दिया। यह ज्ञान की बात है। अगर आप इसी तरह की ज्ञानवर्धक जानकारियां जानना चाहते हैं तो इस चैनल को सब्सक्राइब करें।
निष्कर्ष
अंटार्कटिक महासागर एक महासागर है जो अंटार्कटिका महाद्वीप को घेरता है। यह पृथ्वी का पांचवां सबसे बड़ा महासागर है और यह दुनिया के पानी की मात्रा का लगभग 10% हिस्सा है।
अंटार्कटिका महासागर की विशेषताएं इस प्रकार हैं:
- बर्फ: अंटार्कटिक महासागर दुनिया के सभी समुद्री बर्फ का लगभग 90% हिस्सा है। यह बर्फ अंटार्कटिका के चारों ओर एक मोटी परत बनाती है जो कई किलोमीटर मोटी हो सकती है
- जलवायु: अंटार्कटिक महासागर एक बहुत ठंडा महासागर है। इसका औसत तापमान -2 डिग्री सेल्सियस (28 डिग्री फ़ारेनहाइट) है
- जीवन: अंटार्कटिक महासागर में जीवन की एक विस्तृत विविधता है, जिसमें कई प्रकार के समुद्री जीव और पौधे शामिल हैं। इनमें व्हेल, सील, पेंगुइन, समुद्री स्तनधारी और समुद्री वनस्पति शामिल हैं।
अंटार्कटिका महासागर एक महत्वपूर्ण पारिस्थितिक प्रणाली है। यह पृथ्वी की जलवायु को नियंत्रित करने में मदद करता है और यह कई प्रकार के समुद्री जीवों का घर है।
अंटार्कटिका महासागर के लिए कुछ प्रमुख चुनौतियों में शामिल हैं:
- जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन अंटार्कटिक महासागर के लिए एक प्रमुख खतरा है। बर्फ का पिघलना समुद्र के स्तर को बढ़ा रहा है और यह महासागर के पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित कर रहा है।
- मछली पकड़ना: अंटार्कटिक महासागर एक महत्वपूर्ण मछली पकड़ने का क्षेत्र है। हालांकि, अति-मछली पकड़ना महासागर के पारिस्थितिकी तंत्र को खतरे में डाल सकता है।
- खनन: अंटार्कटिक महासागर में तेल, प्राकृतिक गैस और अन्य खनिजों के भंडार हैं। हालांकि, खनन महासागर के पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचा सकता है।
अंटार्कटिका महासागर के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है कि इन चुनौतियों का समाधान किया जाए। जलवायु परिवर्तन को कम करने, मछली पकड़ने को प्रबंधित करने और खनन को नियंत्रित करने के लिए कार्रवाई की जानी चाहिए।
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